वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर ने 4 फरवरी 2014 को अपना 17वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया। विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की। इस अवसर पर भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) के अध्यक्ष प्रो. अशोक गुलाटी मुख्य अतिथि थे। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता विशिष्ट अतिथि थे।
कृषि, कला, वाणिज्य, शिक्षा, विधि, विज्ञान, प्रबंधन अध्ययन, अनुप्रयुक्त सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी, इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी तथा चिकित्सा समेत दस संकायों में संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों के शैक्षिक सत्र 2012-13 के लिए प्रथम स्थान पर आने पर 34 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक तथा 337 छात्र-छात्राओं को पीएच.डी. की उपाधि प्रदान की गई। अपने-अपने विषयों में डिग्री।
मुख्य अतिथि प्रो. अशोक गुलाटी ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य न केवल युवा पीढ़ी को ज्ञान और कौशल से लैस करना है ताकि वे एक सभ्य आजीविका कमा सकें, बल्कि उन्हें एक मूल्य प्रणाली से सशक्त बनाना भी है ताकि वे मानवता के बड़े कारण में योगदान दे सकें और एक बेहतर दुनिया बना सकें जो उन्हें विरासत में मिली है। ऐसा करने में, आपको निश्चित रूप से जीवन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, और यही वह समय है जब आपकी वास्तविक शिक्षा की परीक्षा होगी। भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक यह है कि 1.2 बिलियन की बड़ी और बढ़ती आबादी को कैसे खिलाएं। चुनौती न केवल पर्याप्त और पौष्टिक भोजन का उत्पादन करना है, बल्कि इसे लोगों को सस्ती कीमतों पर उपलब्ध कराना भी है।
अपने अध्यक्षीय भाषण में विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने बताया कि हमें उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान देना चाहिए शिक्षकों का यह दायित्व है कि वे अपने शिक्षण पद्धति को उन्नत करें, नए विचारों को शामिल करें, जिससे विषय विद्यार्थियों की रुचि के अनुरूप तथा उनकी बौद्धिक क्षमता के अनुरूप हो।
शिक्षा की गुणवत्ता, बुनियादी सुविधाएं, पाठ्यक्रम का उन्नयन, शोधकर्ताओं और उद्योगों के बीच सहयोग, देश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक अनुसंधान संगठनों के साथ सहयोग, प्रयोगशालाओं का उन्नयन, आधुनिक प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग, पुस्तकालयों में मानक जर्नल और पुस्तकों की उपलब्धता तथा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग हमें आधुनिक समय की चुनौतियों का सामना करने में सहायक हो सकता है।
प्रो. धरनी धर दुबे ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि इंटरनेट के आविष्कार और जनसंचार माध्यमों के विस्तार ने स्थानीय समुदाय को पूरी दुनिया के साथ एकीकृत कर दिया है। आज वस्तुओं, सेवाओं, सूचनाओं, धन, व्यक्तियों और ज्ञान का आदान-प्रदान महाद्वीपों के बीच तुरंत किया जा सकता है। विश्वविद्यालय की पहचान उसके आकार और गुणवत्ता से होती है। समय की मांग के अनुरूप विश्वविद्यालय को गुणवत्ता के मापदंडों पर खरा उतरना होगा, जिसके लिए विश्वविद्यालय के सभी निकायों को अकादमिक उत्कृष्टता के उच्चतर मानकों का नवाचार करना होगा।
दीक्षांत समारोह में कुलसचिव वी.के. सिन्हा, वित्त अधिकारी अमर चंद्र, विश्वविद्यालय कार्यकारिणी एवं विद्या परिषद के सदस्य, प्रबंधक, प्राचार्य, जनप्रतिनिधि, शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी, छात्र एवं अभिभावक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
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