परिचय
वी.बी.एस. पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर के भू एवं ग्रहीय विज्ञान विभाग की स्थापना वर्ष 2018 में की गई थी। यह स्थापना माननीय कुलपति प्रो. राजा राम यादव और निदेशक, प्रो. राजेन्द्र सिंह (राज्जू भैया) भौतिक विज्ञान अध्ययन एवं अनुसंधान संस्थान के नेतृत्व में तीन सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति के साथ हुई थी। वर्तमान में विभाग भूविज्ञान में बी.एससी., एम.एससी. और पीएच.डी. कार्यक्रम संचालित कर रहा है। विभाग में ख्यातिप्राप्त और अनुभवी शिक्षक कार्यरत हैं, जिनके पास भूविज्ञान के लगभग सभी शाखाओं में शिक्षण एवं अनुसंधान का व्यापक अनुभव है: खनिजविज्ञान, स्फटिकी (क्रिस्टालोग्राफी), संरचना एवं विवर्तनिकी, शैलविज्ञान (आग्नेय, कायांतरण और अवसादी), स्तरविन्यास (स्ट्रैटिग्राफी), जीवाश्मविज्ञान (अकशेरुकी, कशेरुकी, सूक्ष्मजीवाश्मविज्ञान, पुराजीवविज्ञान), भू-रसायन, कोयला एवं पेट्रोलियम भूविज्ञान, जलभूविज्ञान, आर्थिक भूविज्ञान, अभियांत्रिक भूविज्ञान, रिमोट सेंसिंग और जीआईएस, खनिज अन्वेषण और स्थलरूपविज्ञान।
पठन-पाठन के अतिरिक्त, विभाग के संकाय सदस्य भूविज्ञान के विभिन्न शोध क्षेत्रों में सक्रिय रूप से कार्यरत हैं, जो आग्नेय और अवसादी चट्टानों के शैलविज्ञान, खनिजविज्ञान और भू-रसायन से लेकर पुराजलवायुविज्ञान, अवसादनविज्ञान, स्तरविन्यास, रिमोट सेंसिंग, स्थलरूपविज्ञान और भूकंपविज्ञान तक फैले हुए हैं। विभाग का अनुसंधान सिद्धांत, मॉडलिंग, प्रयोग, मापन और अवलोकनों को एकीकृत कर भूवैज्ञानिक समस्याओं की समग्र समझ प्राप्त करने की दिशा में केंद्रित है।
विभाग में एक संग्रहालय भी है, जिसमें भारत और विदेशों के विशिष्ट क्षेत्रों से प्राप्त चट्टानों, खनिजों और जीवाश्मों के अनेक नमूने संग्रहित हैं। इसके अतिरिक्त, विभाग में अत्याधुनिक उपकरणों से युक्त प्रयोगशालाएँ भी हैं, जो उच्च गुणवत्ता की शिक्षण एवं अनुसंधान गतिविधियों के लिए सहायक हैं, जैसे कि उच्च तापमान मफल फर्नेस, वाइब्रेटरी सिव शेकर, कैमरा सेटअप और इमेजिंग सॉफ़्टवेयर सहित पेट्रोलॉजिकल माइक्रोस्कोप, स्टीरियो जूम माइक्रोस्कोप, अल्ट्रासोनिकेट बाथ, फ्यूम हूड, हैवी मिनरल सेपरेशन यूनिट, वजनी तुला, जॉ क्रशर, ऑटोमैटिक पाउडरिंग मशीन और स्वचालित मौसम केंद्र।
विभाग में संचालित भूविज्ञान के स्नातक (यूजी) एवं स्नातकोत्तर (पीजी) कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुसार कठोर सेमेस्टर प्रणाली का पालन करते हैं, जिसमें 3+2 वर्षों का (6+4 सेमेस्टर) ढांचा अपनाया गया है। भूविज्ञान शिक्षा कार्यक्रम की शुरुआत एक प्रशिक्षित जनशक्ति तैयार करने के उद्देश्य से की गई थी, जो वैश्विक स्तर पर भूवैज्ञानिकों की आवश्यकता को पूरा कर सके। इस दिशा में विश्वविद्यालय की "प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट" प्रकोष्ठ के साथ समन्वय बनाते हुए, विभाग प्रशिक्षित स्नातकों, स्नातकोत्तरों और पीएच.डी. धारकों को भारत और विदेश की प्रमुख भूवैज्ञानिक संस्थाओं में जैसे कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, केंद्रीय भूजल बोर्ड, ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड, मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड, कोल इंडिया लिमिटेड, परमाणु खनिज निदेशालय (अन्वेषण एवं अनुसंधान), नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन, गुजरात स्टेट पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, रिलायंस एनर्जी, हाइड्रोकार्बन महानिदेशालय, हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड, भारत एल्यूमिनियम कंपनी, भूजल बोर्ड तथा विभिन्न राज्यों के भूविज्ञान एवं खनन निदेशालयों में सर्वोत्तम रोजगार अवसर उपलब्ध कराने का प्रयास करता है।
इसके अतिरिक्त, हम छात्रों को शिक्षण और अनुसंधान को करियर के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं ताकि वे राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अग्रणी अनुसंधान प्रयोगशालाओं तथा केंद्रीय/राज्य शैक्षणिक संस्थानों जैसे विश्वविद्यालयों/आईआईटी/आईआईएसईआर/एनआईटी आदि में जुड़ सकें। विभाग उद्योगों और उद्यमियों के साथ एमओयू भी कर रहा है और छात्रों के लिए नए शैक्षणिक अवसर सृजित कर रहा है।